farm producer organisation: भारत के विकास में किसानों का महत्वपूर्ण स्थान है। कोरोना संकट में भी किसानों ने अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है। किसानों की मेहनत का नतीजा है कि आज दूसरे देशों में अनाज, फसल और सब्जियां निर्यात की जा रही है। खेती-किसानी के क्षेत्र में उभरने वाली इस सफलता का श्रेय किसान उत्पादक संगठन (farm producer organisation) को भी जाता है।
तो आइए, द रूरल इंडिया के इस ब्लॉग में किसान उत्पादक संगठन (FPO) को आसान भाषा में समझते हैं कि भारत में किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) की क्या भूमिका है और इससे जुड़ने से किसानों का क्या-क्या लाभ है।
सबसे पहले जान लेते हैं, एफपीओ क्या है?
किसान उत्पादक संगठन - fpo ke kaam (farm producer organisation in hindi)
किसान उत्पादक संगठन (farm producer organisation) यानी एफपीओ, किसानों द्वारा बनाया गया एक स्वंय सहायता समूह होता है। किसानों का यह समूह खुद किसानों के हित में काम करता है। किसान उत्पादक संगठनों से जुड़कर किसान निश्चिंत होकर कृषि कार्यों के साथ-साथ अपने हितों की रक्षा कर पाते हैं।
जाहिर है कि किसान खून-पसीना एक करके मेहनत से अनाज, फल-फूल और सब्जियां उपजाते हैं। लेकिन कई बार बाजार में उनकी उपज का वाजिब दाम नहीं मिल पाता, जिस कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ जाता है। ऐसी स्थिति में किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) बाजार में मोलभाव के वक्त किसानों के हित में पूरी ताकत के साथ खड़े रहते हैं। किसान उत्पादक संगठनों से जुड़ने पर छोटे किसानों को उपज का अच्छा मोल मिल जाता है। इससे किसानों की आजीविका में भी वृद्धि होगी।
एफपीओ के कार्य (fpo ke kaam)
एफपीओ (FPO) के जरिए किसान भाइयों को बीज, खाद, मशीनरी, मार्केट लिंकेज, ट्रेनिंग, नेटवर्किंग, वित्तीय सहायता और तकनीकी मदद उपलब्ध कराई जाती है। FPO किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। कोरोना संकट के दौर में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की सफलता को सरकार ने भी सराहा है। इन्हीं रुझानों के मद्देनजर अब सरकार ने भी देशभर में 2,500 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की स्थापना करने की घोषणा की है।
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